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1853 के चार्टर अधिनियम का इतिहास
चार्टर एक्ट 1853 भारतीयों द्वारा कम्पनी के प्रतिक्रियावादी शासन के समाप्ति की माँग तथा गवर्नर जनरल लार्ड डलहौजी द्वारा कम्पनी के शासन में सुधार हेतु प्रस्तुत रिपोर्ट के सन्दर्भ में पारित किया गया था। इस 1853 के चार्टर अधिनियम द्वारा विधायी कार्यों को प्रशासनिक कार्यों से अलग करने की व्यवस्था की गयी। विधि निर्माण हेतु, भारत के लिए एक अलग 12 सदस्यीय “विधान परिषद” (All India Legislative Council) की स्थापना की गयी।
चार्टर एक्ट 1853 क्या हैं?
- चार्टर एक्ट 1853 पहली बार आधुनिक स्तर का लघु रूप जिसे आंग्ल भारतीय संसद का प्रथम उदाहरण भी कहते हैं, इसी अधिनियम के अंतर्गत निर्मित हुआ।
- इस अधिनियम के अतंर्गत लॉर्ड मैकाले की अध्यक्षता में सिविल सेवा सुधार समिति का गठन हुआ। जिससे प्रसंविदा विद सिविल सेवकों की भर्ती खुली प्रतियोगिता के आधार पर करने का सुझाव दिया।
1853 चार्टर एक्ट की विशेषता (Charter Act 1853 in Hindi)
- सिविल सेवा-
- प्रसंविदा विद (राजपत्रित अधिकारी)
- अप्रसंविदा विद (अराजपत्रित कर्मचारी)
- 1854 से 1891 तक सिविल सेवा को इम्पीरियल सिविल सेवा (आई सी एस) कहते थे।
- इस अधिनियम के अंतर्गत ई आई सी को आगे किसी अवधि तक कारोबार करने का कोई वचन नहीं दिया गया । केवल इतना कहा गया कि जब तक ब्रिटिश संसद न चाहें।
Final Words-
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