चार्टर एक्ट 1858, 1861 तथा 1892 की पूरी जानकारी – My Hindi GK

चार्टर एक्ट 1858

चार्टर एक्ट, 1858 (भारत सकार अधिनियम)

चार्टर एक्ट 1858 लॉर्ड पामर्स्टन (Lord Palmerston) ने 12 फरवरी, 1858 ई0 को भारत में दोहरे शासन के दोषों को दूर करने के लिए एक विधेयक संसद के सम्मुख प्रस्तुत किया। किन्तु कतिपय कारणों से पामर्स्टन को त्यागपत्र देना पड़ा। इसके पश्चात् लॉर्ड जरबी (Lord Derby) प्रधानमंत्री बने। उनके काल में प्रस्तुत विधेयक 2 अगस्त, 1858 ई0 को महारानी विक्टोरिया के हस्ताक्षर के बाद पारित हो गया। यह भारत शासन अधिनियम, 1858 कहलाया। जिसका उद्देश्य 1857 के विद्रोह जैसी घटना की पुनरावृत्ति को रोकना तथा साथ ही प्रशासनिक व्यवस्था को स्थापित करके भारत का उपयोग ब्रिटिश औपनिवेशिक हित में करना था।

  • बोर्ड ऑफ कंट्रोल+निदेशक मंडल = भारत राज्य सचिव
  • अब भारत में भारतीय सिविल सेवा के सदस्यों की नियुक्ति भारतीय राज्य सचिव के रूप में होनी थी। इसी उपबंध के अनुसार आज भारतीय संबिधान में अनुच्छेद 310 के अंतर्गत केंद्रीय और अखिल भारतीय सेवाओं के लिए राष्ट्रपति और राज्य सिविल सेवा के लिेए गवर्नर को संबंधित शक्तियाँ प्राप्त हैं। साम्रगी विक्टोरिया के घोषणा पत्र में वायसराय व गवर्नर जनरल दोनों का उल्लेख किया गया था। गवर्नर जनरल के रूप में वह भारत राज्य सचिव के प्रति उत्तरदायी होगा (भारत राज्य सचिव को ब्रिटिश कैबिनेट का सदस्य होना था)

रेग्युलेटिंग एक्ट 1773 के उद्देश्य, गुण और दोष (Regulating Act 1773)

चार्टर एक्ट (भारत परिषद अधिनियम, 1861)

  • 1833 के चार्टर अधिनियम के अन्तर्गत ब्रिटिश प्रांप्तो से कानून बनाने का जो अधिकार वापस लिया था उसे पुन: उन्हें लौटा दिया गया। इसके पीछे प्रमुख कारण स्थानीय समस्याओं को संबोधित करना था। इस अधिनियम के अन्तर्गत पहली बार कुछ विशेष परिस्थितियों मं ब्रिटिश भारत के गवर्नर जनरल को अध्यादेश जारी करने की शक्ति प्रदान की गई।

भारत सरकार अधिनियम, 1892

  • अतिरिक्त सदस्यों में से 5 सदस्य विभिन्न वर्गीय संघों से चुनकर आने थे जैसे – बंगला/कलकत्ता चैबंर्स ऑफ कॉमर्स , बॉम्बे चैम्बर्स ऑफ कॉमर्स विश्व विधियालयों, जिला बोर्डो आदि से चुनकर आने वाले सदस्य (प्राय: प्रांतों से)।
  • इस अधिनियम के अंतर्गत बड़ी चालाकी से ब्रिटिश शासन ने निर्वाचन के साथ-2 मनोनयन शब्द को भी जाने दिया था। अर्थात विशेष वर्गों का प्रतिनिधित्व करने वाले जो प्रतिनिधि चुनकर आयेंगे गवर्नर जनरल उनको मनोनीत करेगा तभी उनकी सदस्यता बैध मानी जायेगी।
  • सपरिषद गवर्नर जनरल के सदस्यों को बजट पर सीमित बहस करने की छूट दी गई। किंतु सरकार के विरूद्ध संकल्प लाने या मंत्रियों से प्रश्न पूछने की अनुमति नहीं दी गई।

Final Words-

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नोट:- सभी प्रश्नों को लिखने और बनाने में पूरी तरह से सावधानी बरती गयी है लेकिन फिर भी किसी भी तरह की त्रुटि या फिर किसी भी तरह की व्याकरण और भाषाई अशुद्धता के लिए हमारी वेबसाइट My GK Hindi पोर्टल और पोर्टल की टीम जिम्मेदार नहीं होगी |

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