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भारत परिषद अधिनियम 1909
भारत परिषद अधिनियम 1909 (Indian Council Act 1909): इस भारत परिषद अधिनियम 1909 को तत्कालीन भारत सचिव (मॉर्ले) तथा वायसराय (मिन्टो) के नाम पर “मार्ले-मिन्टो सुधार अधिनियम” भी कहा जाता हैं। सर अरुण्डेल समिति की रिपोर्ट के आधार पर इसे फरवरी 1909 में पारित किया गया था। भारत परिषद अधिनियम 1909 (मार्ले-मिन्टो सुधार अधिनियम) का लक्ष्य 1892 के अधिनियम के दोषों को दूर करना तथा भारत में बढ़ते हुए उग्रवाद एवं क्रान्तिकारी राष्ट्रवाद का सामना करना था। सरकार की मंशा थी कि साम्प्रदायिकता को भड़का कर उग्रवाद तथा क्रान्तिकारी राष्ट्रवाद का दमन कर दिया जायें।
1909 के अधिनियम के पारित होने के क्या कारण थे?
- 1892 के सुधार से जनता में असंतोष
- प्रेस के द्वारा प्रचार-प्रसार का कार्य प्रारम्भ
- कांग्रेस की बढ़ती मांग
- पूरे देश में राष्ट्रीय आपदाओं का प्रभाव
- उग्रवाद तथा आतंकवाद का विकास
- विदेशों में भारतीय नागरिकों का अपमान
- ब्रिटिश भारत पर विदेशी घटनाओं का प्रभाव
- कर्जन की प्रतिक्रियावादी नीति
भारत परिषद अधिनियम 1909 प्रष्ठभूमि
- वंगाल का विभाजन, स्वदेशी आंदोलन, मुस्लिम लीग का गठन।
- सूरत में कांग्रेस में फूट।
- बाल गंगाधर तिलक को 1908 में देश द्रोह के आरोप में जेल और उदार राष्ट्रवादी नेताओं के प्रति अंग्रेजों का नरम रूख।
Indian Council Act 1909
भारत परिषद अधिनियम 1909 की अन्य विशेषताऐं
- जिस प्रकार से केन्द्रीय विधान मंडल में अतिरिक्त सदस्यों की संख्या 16 से बढ़कर 60 कर दी गई थी, उसी प्रकार कलकत्ता, बॉम्बे व मद्रास प्रेसीडेन्सी में अतिरिक्त सदस्यों की सख्या 20 से बढ़ाकर 50 कर दी गई थी (1892 के परिषद अधिनियम की तुलना में) स्पष्ट हैं कि ब्रिटिश शासक केवल विमर्श के दायरे का विस्तार करना चाहते थे न कि सत्ता में साझेदारी चाहते थे।
- प्रांतो में अशासकीय बहुमद स्थापित किया गया हालांकि केंद्रीय विधानमंडल में अभी भी मनोनीत सदस्यों की संख्या अशासकीय बहुमद बना रहा।
- इस अधिनियम के द्वारा परोक्ष निर्वाचन के सिद्धांत को स्वीकार कर लिया गया। इसके अंतर्गत कुछ निकयों व संघों को अपने प्रतिनिधि चुनकर प्रांतीय व केंद्रीय विधानमंडल में भेजने का अधिकार मिल गया (1892 की भांति अब गवर्नर जनरल को इन्हें मनोनीत करने की आवश्यकता नहीं थी। इनमें जिला परिषदे, विश्वविधालय , चैम्बर्स ऑफ कॉमर्स प्रमुख निकाय व संघ थे।
- इसके साम्प्रदायिक प्रतिनिधित्व को कानूनी मान्यता दे दी गई।
भारत सरकार अधिनियम 1919 के उद्देश्य, गुण और दोष (Government of India Act 1919)
भारतीय परिषद की कार्यप्रणाली में परिवर्तन
- वजट को अंतिम रूप से पारित करने के पूर्व उस पर वाद विवाद स्वीकार कर लिया गया।
- उसपर संकल्प (प्रस्ताव ) भी लाया जा सकता था।
- इस संकल्प पर मत विभाजन की स्वीकृति।
- अन्य विषयों पर भी मत विभाजन की स्वीकृत। जैसा की आज है। मंत्रियों से प्रश्न पूछने की अनुमति। सदस्य पूरक प्रश्न भी पूछ सकते थे।
- सदस्यों को सरकार के विरूद्ध निंदा प्रस्ताव व अविश्वास प्रस्ताव लाने की अनुमति नहीं । पुन: वे वजट के विरूद्ध कटौती प्रस्ताव नहीं ला सकते थे।
1909 के भारत परिषद अधिनियम की आलोचना
- लंदन में भारत राज्य सचिव परिषद के सदस्य तथा भारत में सपरिषद गवर्नर जनरल के कार्यपालिका के सदस्य चार्ल्स एचिसन ने साम्प्रदायिक निर्वाचन प्रणाली की आलोचना की।
- इस अधिनियम के अन्तर्गत किसी उत्तरदायी शासन के गठन का प्रयास नहीं किया गया था।
- परोक्ष निर्वाचन प्रणाली ने निर्वाचन को एक हँसी का पात्र बना दिया, क्योकि आम जनता की इसमें कोई भागीदारी नहीं थी।
- गवर्नर जनरल व प्रांतीय गवर्नर कभी भी संबंधित परिषद के परामर्श की अनदेखी कर सकते थे।
FAQ (Frequently Asked Question)
प्र01- मार्लो मिंटो सुधार का उद्देश्य क्या था?
उ0- मार्ले-मिन्टो सुधार अधिनियम) का लक्ष्य 1892 के अधिनियम के दोषों को दूर करना तथा भारत में बढ़ते हुए उग्रवाद एवं क्रान्तिकारी राष्ट्रवाद का सामना करना था।
प्र02- 1909 के अधिनियम द्वारा गवर्नर जनरल की विधान परिषद में अधिकतम सदस्यों की संख्या कितनी की गई?
उ0- जिस प्रकार से केन्द्रीय विधान मंडल में अतिरिक्त सदस्यों की संख्या 16 से बढ़कर 60 कर दी गई थी, उसी प्रकार कलकत्ता, बॉम्बे व मद्रास प्रेसीडेन्सी में अतिरिक्त सदस्यों की सख्या 20 से बढ़ाकर 50 कर दी गई थी (1892 के परिषद अधिनियम की तुलना में) स्पष्ट हैं कि ब्रिटिश शासक केवल विमर्श के दायरे का विस्तार करना चाहते थे न कि सत्ता में साझेदारी चाहते थे। केंद्रीय विधानमंडल में अभी भी मनोनीत सदस्यों की सख्या अशासकीय बहुमद बना रहा
प्र03- मार्ले मिंटो सुधार कब लाया गया?
उ0- मॉर्ले मिंटो सुधार अधिनियम 1909 में लाया गया। इस अधिनियम को भारत परिषद अधिनियम 1909 के नाम से भी जाना जाता हैं।
प्र04- 1909 में भारत का वायसराय कौन था?
उ0- 1909 में भारत के वायसराय लॉर्ड मिन्टो थे।
Final Words-
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