भारत के गवर्नर जनरल एवं वायसराय से जुड़े प्रमुख तथ्य

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भारतीय इतिहास का सबसे महत्वपूर्ण टॉपिक हैं भारत के गवर्नर जनरल एवं वायसराय (Bharat Ke Governor General Aur Vaysaray), क्योंकि ये अक्सर परीक्षाओं में पूछा जाता हैं। इसलिए क्या आप ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के दौरान बंगाल के गर्वनर, भारत के गवर्नर जनरल और वायसराय की भूमिका के बारे में और इनसे जुड़े प्रमुख तथ्यों को जानने के उत्सुक हैं, तो इस पोस्ट को अंत तक पढ़ते रहे।

तो आइये जानते हैं, कि भारत के गवर्नर जनरल एवं वायसराय कौन हैं, और इनसे जुड़े महत्वपूर्ण तथ्य

भारत के गवर्नर जनरल एवं वायसराय

Table of Contents

बंगाल के गर्वनर जनरल (1773-1833)

वास्तव में दोस्तों गर्वनर जनरल पद की शुरुआत ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा बंगाल से होती हैं, क्योंकि जब ईस्ट इंडिया कंपनी भारत आई, तो उसने भारत के राज्यों को जीतना शुरु किया। इसी प्रकार उसने ‘बंगाल के राज्यपाल’ पद का सृजन कर पूरे बंगाल को नियंत्रित किया। रॉबर्ट क्लाइब (1757-60) को बंगाल का पहला राज्यपाल अर्थात बंगाल का गर्वनर नियुक्त किया गया था।

बंगाल (कलकत्ता), बॉम्बे, मद्रास प्रेसिडेंसी जो एक दूसरे से स्वतंत्र थी 1773 के अधीनियम के द्वारा बंगाल प्रेसिडेंसी के अधीन करके बंगाल के गर्वनर को तीनों प्रेसीडेंसियों का गर्वनर जनरल बना दिया गया। इस प्रकार वारेन हेस्टिंग(1774-85) को बंगाल का प्रथम गर्वनर के रूप में नियुक्त किया गया

नोट- बंगाल का प्रथम गवर्नर रॉर्बट क्लाइव थे, लेकिन 1773 के रेग्युलेटिंग एक्ट पारित होने के पश्चात् बंगाल के प्रथम गवर्नर जनरल वारेन हेस्टिंग थे।

भारत के गर्वनर जनरल (1833- 58)

सन् 1833 ई. तक आते आते ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी का अधिकार क्षेत्र में काफी वृद्धि हुई, जिस पर ब्रिटिश सरकार द्वारा समुचित नियंत्रण स्थापित करने की आवश्यकता थी। अत: 1833 के चार्टर अधिनियम द्वारा बंगाल के गवर्नर जनरल को संपूर्ण भारत का गवर्नर जनरल बना दिया गया।

भारत के गवर्नर जनरल का पद मुख्य रूप से प्रशासनिक व्यवस्था से जुड़ा हुआ था। भारत के प्रथम गवर्नर जनरल के रूप में लॉर्ड बिलियम बैंटिक(1833-35) को नियुक्त किया गया।

भारत के गवर्नर जनरल का पद मुख्य रूप से प्रशासनिक व्यवस्था से जुड़ा हुआ था। यह नियंत्रक मंडल के अधीन था, क्योंकि इसको किसी भी मुद्दे पर विचार विमर्श कर नियंत्रक मंडल को रिपोर्ट सैंपनी रहती थी।

भारत के वायसराय (1858-1947)

भारत में 1857 का विद्रोह की वजह से ईस्ट इंडिया कंपनी का शासन समाप्त कर दिया गया और अब भारत सीधे ब्रिटिश क्राउन के अधीन आ गया। इस प्रकार भारत सरकार अधिनियम 1858 पारित कर भारत के गर्वनर जनरल पद को बदलकर भारत के वायसराय कर दिया गया।

भारत के प्रथम वायसराय लॉर्ड कैनिंग (1858-62) को नियुक्त किया गया। भारत का वायसराय सीधे ब्रिटिश सरकार के द्वारा नियुक्त किया जाता था।

इस अधिनियम के द्वारा भारत में एक भारत-परिषद का गठन किया गया। जिसका एक सचिव होता था।

भारतीय गर्वनर जनरल (वायसराय) को भारत सचिव की आज्ञानुसार कार्य करने के लिए बाध्य किया गया। गर्वनर जनरल भारत में ब्रिटिश सम्राट के प्रतिनिधि के रूप में कार्य करने लगा और इस कारण से उसे वायसराय (Viceroya) कहने लगे।

भारत के गवर्नर जनरल एवं वायसराय की सूची

यहाँ पर आपकी सुविधा के लिए बंगाल के गवर्नर, बंगाल के गर्वनर जनरल और वायसराय की सूची दी गई हैं।

बंगाल के गर्वनर/राज्यपाल

रॉर्बट क्लाइब

  • रॉर्बट क्लाइब का कार्यकाल 1757 से 1760 तक और 1765 से 67 तक रहा। रॉबर्ट क्लाइब को दो बार बंगाल का गर्वनर बनाया गया था।
  • बंगाल में द्वैध शासन की स्थापना रॉबर्ट क्लाइव ने ही की थी। जिसके अन्तर्गत राजस्व की वसूली, सैनिक संरक्षण एवं विदेशी मामले कंपनी के अधीन रखें, और प्रशासनिक व्यवस्था नवाब को दी।
  • इलाहाबाद की द्वितीय संधि के द्वारा सन् 1765 ई. में, मुगल सम्राट शाह आलम द्वितीय कंपनी के संरक्षण में आ गया।
  • अन्य गर्वनर- हॉलवेल, वेन्सिटार्ट, वेरेल्स्ट, कॉर्टियर, वारेन हेस्टिंग्स

बंगाल के गवर्नर जनरल

वारेन हेस्टिंग्स (1764-85)

  • वारेन हेस्टिंग्स के समय 1773 का रेग्युलेटिंग एक्ट पारित हुआ था। जिसके अन्तर्गत बॉम्बे, मद्रास प्रेसीडेंसी को बंगाल प्रेसिडेंसी के अधीन कर दिया गया और बंगाल के गर्वनर को बंगाल का गवर्नर जनरल कहा जाने लगा।
  • इसी ने द्वैध शासन को समाप्त किया था।
  • इसी के कार्यकाल में 1784 का पिट्स इंडिया एक्ट पारित हुआ।
  • इसी के कार्यकाल में प्रथम मराठा और द्वितीय मैसूर युद्ध हुए।
  • इसने सुरक्षा प्रकोष्ठ या रिंग फेंस की नीति अपनाई।
  • कलकत्ता में उच्च न्यायालय की स्थापना।
  • वारेन हेस्टिंग्स ने एशियाटिक सोसाइटी की स्थापना की।

लॉर्ड कार्नवालिस (1786-93)

  • लॉर्ड कार्नवालिस ने अदालतों, नौकरियों में सुधार किया।
  • इस ने बंगाल में स्थाइबंदोबस्त प्रणाली की शुरुआत की, लेकिन इसकी योजना सर जॉन शोर ने बनाई थी।
  • इसी के समय तृतीय मैसूर युद्ध हुआ।
  • सिविल सेवा का सृजन किया।
  • इसी के समय न्यायिक संगठन की स्थापना तथा जिलों में पुलिस थाना की स्थापना की।
  • इसने कार्नवालिस कोड का निर्माण किया।
  • भारत में कार्नवालिस को भारतीय सिविल सेवा का जनक कहा जाता हैं।

सर जॉन शोर (1793-98)

  • इसने अहस्तक्षेप की नीति अपनाई थी।

लॉर्ड बेलेजली (1798-1805)

  • लॉर्ड बेलेजली ने भारत में सहायक संधि प्रणाली की शुरूआत की थी, लेकिन इससे पहले भारत में पहली सहायक संधि की शुरुआत फ्रांसीसी गर्वनर डुप्ले ने की थी।
  • इसने हैदराबाद मैसूर तंजौर, अवध, पेशवा, बरार एवं भौसले, सिंधिया आदि से सहायक संधि की थी।
  • इसी ने 1800 ई. में फोर्ट बिलियम कॉलेज की स्थापना की। लेकिन ज्यादा व्यय के कारण 1806 ई. में इंग्लैंड के हेलीबरी ईस्ट कॉलेज की स्थापना की गई।
  • इसी के काल में चौथा आंग्ल मैसूर युद्ध हुआ। जिसमें टीपू सुल्तान की मृत्यु हुई।
  • लॉर्ड बेलेजली को बंगाल का शेर भी कहा जाता था।
  • इसके पश्चात् 1805 ई. में द्वारा लॉर्ड कार्नवालिस का कार्यकाल शुरू हुआ।

सर जॉर्ज वार्लो (1805-07)

  • इसी के समय मराठों से नई संधिया हुई एवं बंगलौर में सिपाही विद्रोह हुआ।

लॉर्ड मिंटो प्रथम (1807 से 1813)

  • सीमांत राज्यों से संधियां की एवं फ्रांसीसियों के उपनिवेश पर अधिकार किया।
  • इसी के कार्यकाल में चार्टर एक्ट 1813 पारित किया गया।
  • अंग्रेजों और रणजीत सिंह के बीच अमृतसर की संधि हुई।

लॉर्ड हेस्टिंग्स (1813 से 1823)

  • इसी ने अपने कार्यकाल में पिंडारियों का दमन, मराठों की शक्ति का अंत, शिक्षा को राजकोषीय सहायता एवं अदालतों में सुधार किया।
  • इसी के कार्यकाल में गोरखा युद्ध हुआ।
  • इसी के साथ साथ तृतीय-आंग्ल मराठा युद्ध एवं आंग्ल नेपाल युद्ध हुए।

लॉर्ड एमहर्स्ट (1823 से 1828)

  • लॉर्ड एमहर्स्ट बंगाल के आखिरी गवर्नर जनरल थे।
  • इसी के कार्यकाल में प्रथम आंग्ल बर्मा युद्ध (1824 से 1826) हुआ
  • इसी के समय बैरकपुर की छावनी (सैनिक कैम्प) में विद्रोह हुआ।

भारत के गवर्नर जनरल

लॉर्ड विलियम बेटिक (1828-35)

  • यह पहले बंगाल का गर्वनर जनरल था, तो इसी के कार्यकाल में 1833 का चार्टर एक्ट पारित हुआ, जिसके द्वारा बंगाल का गर्वनर जनरल पद को समाप्त कर भारत का गवर्नर जनरल पद सृजित किया।
  • लॉर्ड विलियम बैंटिक भारत का प्रथम गवर्नर जनरल हुआ।
  • इसी ने राजा राम मोहन राय की सहायता से सति प्रथा को समाप्त किया तथा 1830 में ठगी प्रथा का अंत किया।
  • इसी ने शिशु बालिका की हत्या पर प्रतिबंध लगाया।
  • इसे आधुनिक शिक्षा का जन्मदाता कहा जाता हैं।
  • इसी ने ली कमीशन की नियुक्ति की।

चार्ल्स मेटकाॅफ (1835 से 1836)

  • इसका कार्यकाल 1 वर्ष का था। जिसमें इसने प्रेस से नियंत्रण हटा लिया था, अर्थात अब भारतीय प्रेस को स्वतंत्रता मिल गई थी। इसलिए एसको प्रेस को मुक्तिदाता भी कहा जाता हैं।

लॉर्ड ऑकलैंड (1836 से 1842)

  • इसी के समय प्रथम अफगान युद्ध हुआ।
  • इसी ने कोलकाता से दिल्ली तक  ग्रैंड ट्रंक रोड की मरम्मत कराई।

लॉर्ड एलिनबरो (1842 से 1844)

  • इसके कार्यकाल में प्रथम आंग्ल अफगान युद्ध समाप्त हुआ।
  • इसी ने सिन्ध क्षेत्र को अंग्रेजी साम्राज्य में मिलाया।
  • इसी ने 1843 ई. में रविवार को छुट्टी की शुरूआत की।
  • सन् 1843 ई. में दास प्रथा का उन्मूलन इसी के समय में हुआ था।

लॉर्ड हार्डिंग (1844 से 1848)

  • इसके कार्यकाल में प्रथम आंग्ल सुख युद्ध हुआ जिसमें अंग्रेज विजयी हुए।
  • इसी के कार्यकाल में नरबलि प्रथा पर रोक लगी।

लॉर्ड डलहौजी (1848 से 1856)

  • इसके कार्यकाल में द्वितीय आंग्ल सिख युद्ध हुआ।
  • इसी ने शासन में भी सुधार किए।
  • इसने भारतीय राज्यों पर हड़प नीति अपनाई।
  • इसने हड़प नीति के अन्तर्गत सतारा, जैतपुर, संभलपुर, बधाट, उदयपुर, झांसी, नागपुर तार सेवा आरंभ की।
  • नागरिक सेवा में प्रतियोगी परीक्षा की शुरुआत की।
  • इसी ने पब्लिक वर्क्स डिपार्टमेंट की शुरुआत की।
  • इसी ने भारतीय राज्य क्षेत्र का अंतिम विस्तार किया था।
  • इसी के समय 1854 में पोस्ट ऑफिस एक्ट के तहत डाक टिकट का प्रचलन शुरू हुआ।
  • शिक्षा सुधार के लिए 1854 में वुड डिस्पैच को लागू किया।
  • डलहौजी ने शिमला को अपनी ग्रीष्म कालीन राजधानी बनाया था।

भारत के वायसराय की सूची

लॉर्ड कैनिंग (1856 – 1862)

  • भारत में 1857 की क्रांति के पश्चात भारत में ईस्ट इंडिया कंपनी का शासन समाप्त कर भारत को ब्रिटिश सरकार के अधीन कर दिया था। भारत के गर्वनर जनरल को अब भारत का वायसराय कहा जाने लगा।
  • वास्तव में वायसराय ब्रिटिश क्राउन का प्रतिनिधि होता था। इस तरह से भारत का प्रथम वायसराय लॉर्ड कैनिंग को नियुक्त किया गया।
  • लॉर्ड कैनिंग ने रेलों का विस्तार किया।
  • इसी के समय के व्यवस्थापिका सभाओं के सदस्य बढ़ें।
  • इसी के कार्यकाल में 1861 का भारतीय परिषद् अधिनियम लागू किया था।
  • इसी ने हाईकोर्ट की स्थापना की अर्थात पुराने हाईकोर्ट को समाप्त कर कोलकाता, बॉम्बे, मद्रास में एक एक उच्च न्यायालय की स्थापना की।
  • कैनिंग के समय में ही भारतीय दंड प्रक्रिया संहिता आई।
  • इसी ने डलहौजी के व्यक्तिगत सिद्धांत को समाप्त किया

लॉर्ड एल्गिन (1862-63)

  • इसने बहाबी आंदोलन का दमन किया था।

लॉर्ड लॉरेंस (1864 से 1869)

  • इसने अफगानों से तटस्थ रहने की नीति अपनाई।
  • इसी के समय भूमि रक्षा कानून आया।
  • इसी ने अंग्रीजी साम्राज्य में भूटान का विलय किया।
  • इसने भारत और यूरोप के बीच समुद्री टेलीग्राफ सेवा शुरू की।

लॉर्ड मेयो (1869 – 1872)

  • मेयो ने प्रांतीय शासन में सुधार किया तथा मेयो कॉलेज अजमेर की स्थापना की।
  • इसी के काल में प्रथम जनगणना की शुरूआत हुई।
  • इसी के साथ इसने 1857 में कृषि विभीग की स्थापना की।

लॉर्ड नॉर्थब्रुक (1872 – 1876)

  • इस के समय में पंजाब में कूका आंदोलन हुआ।
  • इसके कार्यकाल में बंगाल में भयानक अकाल पड़ा। जिसकी चपेट में कई लाख लोग आए।
  • इसके समय में स्वेज नहर खुल जाने भारत और यूरोप के व्यापार में वृद्धि हुई।
  • इसके दौर में भी अफगान (तटस्थता नीति) जारी रही।

लॉर्ड लिटन (1876 – 1880)

  • सने अकाल आयोग का गठन किया।
  • इसने वर्नाकूलर प्रेस एक्ट (भारतीय समाचार पत्र एक्ट) लागू कर भारतीय प्रेसों और समाचार पत्रों पर कठोर प्रतिबंध लगाए थे।
  • इसके समय 1872 ई. में प्रथम जनगणना की शुरूआत हुई थी।
  • इसने भारतीय शास्त्र अधिनियम पारित किया।
  • इसने महारानी विक्टोरिया को केसर ए हिन्द की उपाधि दी।

लॉर्ड रिपन (1880 – 1884)

  • इसके समय में अफगान युद्ध की समाप्ति हुई।
  • इसके समय में इलबर्ट बिल पर बहस हुई।
  • इसने वर्नाकूलर एक्ट को समाप्त कर भारतीय प्रेस को फिर से स्वतंत्रता प्रदान कराई।
  • इसने स्थानीय स्वशासन की शुरूआत की।
  • इसने प्रथम फैक्ट्री एक्ट लागू किया।
  • इसी के समय में भारत में सबसे पहले नियमित दशकीय जनगणना हुई।

लॉर्ड डफरिन (1884 से 1888)

  • इसके समय कांग्रेस की स्थापना हुई।
  • इसी के समय तीसरा आंग्ल-बर्मा युद्ध हुआ। जिसको अंग्रेजों ने जीता और पूर्णतया ब्रिटिश राज्य में शामिल कर लिया।

लॉर्ड लैंसडाउन (1888 से 1894)

  • इसके समय मुस्लिम संगठन का आरंभ हुआ।
  • इसी का साथ साथ भारत-अफगानिस्तान के मध्य डूरण्ड रेखा का निर्धारण हुआ था।
  • इसके समय दूसरा कारखान अधिनियम आया। जिसके अन्तर्गत महिलाओं पर 11 घंटे से ज्यादा काम करने पर प्रतिबंध लगाया और सप्ताह में 1 दिन की छुट्टी अनिवार्य की।

लॉर्ड एलगिन द्वितीय (1894 से 1899)

  • इसके कार्यकाल के दौरान उत्तर और मध्य भारत में 1895-98 में भयंकर अकाल पड़ा।
  • एसका एक प्रमुख कथन- भारत को तलवार के बल विजय किया हैं, तो इसकी रक्षा भी तलवार के बल पर ही की जाएगी।

लॉर्ड कर्जन (1899 से 1905)

  • इसने शासन एवं शिक्षा में कुछ सुधार किए।
  • इसके साथ विश्विद्यालय आयोग का गठन किया।
  • कर्जन ने ही भारतीय पुरातत्व विभाग की स्थापना की।

लॉर्ड मिंटो द्वितीय (1905 – 1910)

  • इसके समय 1906 में मुस्लिम लीग की स्थापना हुई।
  • जलियाबाला हत्या कॉंड इसी के कार्यकाल में हुआ था।
  • रौलेक्ट एक्ट भी इसी के समय पारित हुआ।
  • सूरज अधिवेशन में कांग्रेस का विभाजन हुआ।
  • इसी के समय मॉर्ले मिंटो सुधार अधिनियम पारित किया गया।

लॉर्ड हार्डिंग द्वितीय (1910 से 1916)

  • इसके समय में ब्रिटिश राजा जॉर्ज पंचम भारत आए थे।
  • इसी के समय में प्रथम विश्व युद्ध आरंभ हुआ।
  • इसी के समय दिल्ली में भव्य दरवार का आयोजन और बंगाल का विभाजन रद्द करके भारत की राजधानी कोलकाता स्थानांतरित करके दिल्ली ले जाने की घोषणा की थी।

लॉर्ड चेम्सफोर्ड (1916 से 1921)

  • इसके समय में होमरूल लीग की स्थापना की गई।
  • इसी के समय रॉलैट एक्ट पारित हुआ।
  • इसी की वजह से 13 अप्रैल 1909 को अमृतसर में जलियाबाला बाग हत्याकांड हुआ।
  • इसके समय में खिलाफत आंदोलन, असहयोग आंदोलन हुए।
  • इसने सैडलर आयोग की स्थापना की थी।
  • इसी के समय में कांग्रेज के लखनऊ अधिवेशन में कांग्रेस और मुस्लिम लीग के बीच समझौता हुआ था।

लॉर्ड रीडिंग (1921 से 1926)

  • इसने कांग्रेस का दमन किया।
  • स्वराज पार्टी का गठन और चौरी चौरा कांड इसी के समय में हुआ था।
  • यह एकमात्र यहूदी गर्वनर जनरल था।

लॉर्ड इरविन (1926 से 1931)

  • इसके समय में 3 फरवरी 1928 को साइमन कमीशन भारत आया था।
  • इसी के समय में गांधी जी के द्वारा सविनय अवज्ञा आंदोलन की शुरूआत की थी, लेकिन बाद में गांधी जी को गिरफ्तार कर लिया था।
  • इसी के समय गोलमेज सम्मेलन और कांग्रेस से समझौता हुआ।
  • इसी के समय पूर्ण स्वराज का लक्ष्य रखा।
  • गांधी-इर्विन समझौता भी इसी से हुआ था।

लॉर्ड वेलिंगटन (1931 से 1936)

  • इसके समय में दूसरा गोल मेज सम्मेलन हुआ। इस सम्मेलन में गांधी जी ने कांग्रेज की तरफ से हिस्सा लिया था, लेकिन असफलता की वजह से द्वारा से सविनय अवज्ञा आंदोलन की शुरूआत की।
  • इसी के समय पून समझौता हुआ।
  • इसी के समय रैमजे मैकडोनाल्ड ने विवादास्पद सांप्रदायिक पंचाट की घोषणा की थी।
  • इसी के समय में फिर तीसरा गोलमेज सम्मेलन हुआ, लेकिन इसमें कांग्रेस ने हिस्सा नहीं लिया था।

लॉर्ड लिनलिथगो (1936 से 1943)

  • इसके समय में प्राेतीय स्वराज की स्थापना हुई।
  • इसके समय में दूसरा विश्व युद्ध हुआ, जिसमें अंग्रेजों द्वारा भारत को भी शामिल किया था।
  • पहला चुनाव, अगस्त प्रस्ताव, क्रिप्स मिशन और भारत छोड़ो आंदोलन सभी इसके कार्यकाल में हुए।

लॉर्ड वेवेल (1944 से 1947)

  • इसने कांग्रेस नेताों की रिहाई कराई थी।
  • केन्द्रीय तथा प्रांतीय सभाओं का नया चुनाव हुआ।

लॉर्ड माउंटबेटन (मार्च 1947 से जून 1948)

  • इसी के समय साम्प्रदायिक दंगे और कश्मीर युद्ध हुआ।
  • गाँधी जी की हत्या भी इसी माउंटबेटन के काल में हुई थी।
  • इसी के समय 4 जुलाई को ब्रिटिश संसद में इटली के द्वारा भारतीय स्वतंत्रता विधेयक प्रस्तुत किया था। जिसको 18 जुलाई को स्वीकृति मिली, लेकिन इस विधेयक में 2 नए देशों की घोषणा की गई थी। 1. भारत और दूसरा पाकिस्तान
  • इसके पश्चान 15 अगस्त 1947 को हमारा देश अंग्रेजों से आजाद हो गया।
  • स्वतंत्र भारत के प्रथम गर्वनर जनरल माउंट बेटन थे।
  • माउंट बेटर के पश्चात स्तंत्र भारत के प्रथम गर्वनर जनरल चक्रवर्ती राजगोपालाचारी थे।

चक्रवर्ती राजगोपालाचारी (1948 – 1950)

  • चक्रवर्ती राजगोपालाचारी माउंटबेटर के बाद स्वतंत्र भारत के प्रथम गर्वनर जनरल थे।
  • इनके कार्यकाल में देशी रियासतों को एकित्र और नवीन संविधान का निर्माण हुआ।

भारत के गवर्नर जनरल एवं वायसराय संबंधित प्रश्न

भारत का प्रथम गवर्नर जनरल और वायसराय कौन था?

भारत का प्रथम गर्वनर जनरल लॉर्ड बिलिम बैंटिंक था और वायसराय लॉर्ड कैनिंग था।

गवर्नर जनरल और वायसराय में क्या अंतर होता है?

गर्वनर जनरल की नियुक्ति कंपनी का निदेशक मंडल करता था, वहीं वायसराय की नियुक्ति ब्रिटिश सरकार द्वारा संसद की सलाह पर होती थी, अर्थात वायसराय ब्रिटिश क्राउन का प्रतिनिधि होता था।

भारत का पहला वायसराय कौन था?

भारत का पहला वायसराय लॉर्ड कैनिंग था, जो भारत शासन अधिनियम, 1858 के तहत बना था।

भारत का आखिरी गवर्नर जनरल कौन था?

भारत के आखिरी गर्वनर जनरल चक्रवर्ती राज गोपालाचारी थे। ये स्वतंत्र भारत के पहले भारतीय गर्वनर जनरल थे।

आज आपने क्या सीखा

हमने आज की इस पोस्ट के माध्यम से भारत के गवर्नर जनरल एवं वायसराय (Bharat Ke Governor General Aur Vaysaray) और इससे जुड़े कुछ महत्वपूर्ण तथ्यों के बारे में विस्तार से जाना, जोकि आपकी परीक्षा की दृष्टि से उपयोगी साबित हो सकते हैं।

उम्मीद हैं, कि आपको आज की ये जानकारी पसंद आयी होगी। अगर आपको हमारे द्वारा किया गया प्रयास पसंद आया तो इस पोस्ट को अपने दोस्तों के साथ शेयर कीजियेगा ताकि वो भी जान सकें कि भारत के गवर्नर जनरल एवं वायसराय से जुड़े प्रमुख तथ्य।

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